सन् 1983 में एक दिन लौटेगी लड़की कविता श्रृंखला के प्रकाशित होते ही गगन गिल (जन्म 1959, नई दिल्ली, शिक्षा : एम. ए. अंग्रेजी साहित्य) की कविताओं ने तत्कालीन सुधीजनों का ध्यान आकर्षित किया था। तब से अब तक उनकी रचनाशीलता देश-विदेश के हिन्दी साहित्य के अध्येताओं, पाठकों और आलोचकों के विमर्श का हिस्सा रही है।
लगभग 35 वर्ष लम्बी इस रचना यात्रा की नौ कृतियाँ है-पाँच कविता संग्रह एक दिन लौटेगी लड़की (1989), अंधेरे में बुद्ध (1996), यह आकांक्षा समय नहीं (1998), थपक थपक दिल थपक थपक (2003), मैं जब तक आयी बाहर (2018) एवं 4 गद्य पुस्तकें दिल्ली में उनींदे (2000), अवाक् (2008), देह की मुंडेर पर (2018), इत्यादि (2018)। अवाक् की गणना बीबीसी सर्वेक्षण के श्रेष्ठ हिन्दी यात्रा वृत्तान्तों में की गयी है।
सन् 1989-93 में टाइम्स ऑफ़ इण्डिया समूह व सण्डे ऑब्जर्वर में एक दशक से कुछ अधिक समय तक साहित्य सम्पादन करने के बाद सन् 1992-93 में हार्वर्ड युनिवर्सिटी, अमेरिका में पत्रकारिता की नीमेन फैलो। देश वापसी पर पूर्णकालिक लेखन।
सन् 1990 में अमेरिका के सुप्रसिद्ध आयोवा इण्टरनेशनल राइटिंग प्रोग्राम में भारत से आमन्त्रित लेखक। सन् 2000 में गोएटे इन्स्टीट्यूट, जर्मनी व सन् 2005 में पोएट्री ट्रान्सलेशन सेण्टर, लन्दन युनिवर्सिटी के निमन्त्रण पर जर्मनी व इंग्लैण्ड के कई शहरों में कविता पाठ। भारतीय प्रतिनिधि लेखक मण्डल के सदस्य के नाते चीन, फ्रांस, इंग्लैण्ड, मॉरीशस, जर्मनी आदि देशों की एकाधिक यात्राओं के अलावा मेक्सिको, ऑस्ट्रिया, इटली, तुर्की, बुल्गारिया, तिब्बत, कम्बोडिया, लाओस, इण्डोनेशिया की भरपूर यात्राएँ। भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार (1984), संस्कृति सम्मान (1989), केदार सम्मान (2000), हिन्दी अकादमी साहित्यकार सम्मान (2008), द्विजदेव सम्मान (2010), अमर उजाला शब्द सम्मान(2018) से सम्मानित |