20-Oct-2020 12:00 AM
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अवनीन्द्रनाथ टैगोर - बीसवीं शताब्दी की शुरुआत के अत्यन्त महत्वपूर्ण चित्रकार और कला-चिन्तक। इण्डियन सोसायटी आॅफ ओरियंटल आर्ट के प्रमुख कलाकार और सर्जक। आध्ाुनिक भारतीय चित्रकला में स्वदेशी कलाबोध्ा की संस्थापना के रास्ते कला के बंगाल घराने के प्रमुख स्तम्भ। बंगाली में बच्चों के लिए अबन ठाकुर नाम से अनेक रचनाएँ लिखी थीं।
अमृता भारती - हिन्दी कवि और गद्य लेखिका। सात कविता संग्रह और एक गद्य संग्रह प्रकाशित। पुदुचेरी में रहती हैं।
वागीश शुक्ल - हिन्दी के गहरे और तीक्ष्ण सिद्धान्तकार, आलोचक। समास के नियमित लेखक। इनकी पुस्तकें, ‘शहंशाह के कपड़े कहाँ हैं’ ‘चन्द्रकान्ता (सन्तति) का तिलिस्म’ और ‘छन्द-छन्द पर कुमकुम’ प्रकाशित हैं। पहली पुस्तक में साहित्य के अनेक मूलभूत प्रश्नों पर वैचारिक निबन्ध्ा हैं। ‘छन्द-छन्द पर कुमकुम’ निराला की सुदीर्घ कविता ‘राम की शक्ति पूजा’ की अद्वितीय टीका है। आध्ाुनिक समय में ऐसा कोई वैचारिक उद्यम किसी अन्य भारतीय लेखक ने इस स्तर का नहीं किया है। ग़ालिब के लगभग पूरे साहित्य की विस्तृत टीका लिख रखी है, जो आने वाले वर्षों में प्रकाशित होगी। वे पिछले कुछ वर्षों से एक सुदीर्घ उपन्यास लिखने में लगे हैं जिसके कुछ अंश समास- छः और पन्द्रह में प्रकाशित हुए हैं। इन दिनों बस्ती (उ.प्र.) में रहते हैं।
विनोदकुमार शुक्ल - कवि, कथाकार और उपन्यासकार। जन्म 1937। कविता संग्रह- लगभग जयहिन्द (पहचान सीरीज के अन्तर्गत प्रकाशित), वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह, सब कुछ होना बचा रहेगा, अतिरिक्त नहीं, कविता से लम्बी कविता, आकाश ध्ारती को खटखटाता है, कभी के बाद अभी। उपन्यास- नौकर की कमीज़, खिलेगा तो देखेंगे, दीवार में एक खिड़की रहती थी, हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़, यासि रासा त, एक चुप्पी जगह। कहानी संग्रह- पेड़ पर कमरा (पूर्वग्रह सीरीज़ में प्रकाशित)। गजानन माध्ाव मुक्तिबोध्ा फैलोशिप, रज़ा पुरस्कार, शिखर सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, दयावती मोदी कवि शिखर सम्मान, साहित्य अकादमी पुरस्कार, हिन्दी गौरव सम्मान। रायपुर में रहते हैं।
प्रभात त्रिपाठी - कवि, समीक्षक, कथाकार। कई पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें खिड़की से बरसात (अशोक वाजपेयी द्वारा सम्पादित पहचान सीरिज में), नहीं लिख सका मैं, साकार समय में आदि आठ काव्य संग्रह, कुछ सच कुछ सपने आदि तीन उपन्यास, तलघर एवं अन्य कहानी संग्रह शामिल। आलोचना पुस्तकें, प्रतिबद्धता और मुक्तिबोध्ा का काव्य, रचना के साथ पुनश्चः, आस्वाद के विविध्ा प्रारूप, तुमुल कोलाहल कलह में। ओडिया से हिन्दी में कई कवियों के अनुवाद जिनमें सीताकान्त महापात्र, गोपीनाथ महांती, हर प्रसाद दास आदि की कविताएँ शामिल। ‘पूर्वग्रह’ पत्रिका के प्रारम्भिक अंकों के सम्पादन में विशेष सहयोग किया है, वर्ष 1994-95 में मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी की पत्रिका ‘साक्षात्कार’ का सम्पादन और साथ ही भवानीप्रसाद मिश्र की रचनाओं के संकलन का सम्पादन भी किया है। आपको वागीश्वरी पुरस्कार, माखनलाल चतुर्वेदी सम्मान, शमशेर सम्मान, कृष्ण बलदेव वैद सम्मान आदि सम्मान मिले हैं।
मदन सोनी - हिन्दी के प्रख्यात आलोचक और अनुवादक। ‘कविता का व्योम और व्योम की कविता,’ ‘विषयान्तर’, निर्मल वर्मा पर ‘कथापुरुष’, ‘विक्षेप’ पुस्तकें। बर्टोल्ट ब्रेख़्त और कालिदास के नाटकों के बुन्देली में अनुवाद। हर्मन हेस के उपन्यास ‘सिद्धार्थ’ और उम्बर्टो इको के उपन्यास ‘द नेम आॅफ़ द रोज़’ के हिन्दी अनुवाद ‘ख़ाली नाम गुलाब का’ के साथ इज़राईली इतिहासकार युवाल नोआ हरारी की कई किताबों के अनुवाद प्रकाशित हुए हैं। इन दिनों पुणे में रहते हैं।
ध्ा्रुव शुक्ल - हिन्दी के कवि, कथाकार, उपन्यासकार और टिप्पणीकार। कई कविता संग्रह प्रकाशित हैं जिनमें ‘खोजो तो बेटी पापा कहाँ हैं’, ‘फिर वह कविता वही कहानी’ और ‘एक बूँद का बादल’ प्रमुख हैं। इनके तीन उपन्यास ‘उसी शहर में’, ‘अमर टाॅकीज़’ और ‘कचराघर’ प्रकाशित। कहानी संग्रह ‘हिचकी’, सामयिक विषयों पर टिप्पणियों का संग्रह, ‘एक नागरिक की डायरी’, महात्मा गाँध्ाी की प्रसिद्ध पुस्तक, ‘हिन्द स्वराज’ पर केन्द्रित सुदीर्घ निबन्ध्ा, ‘पूज्य पिता के सहज सत्य’ आदि प्रकाशित हुए हैं। ध्ा्रुव को अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए है। हिन्दी साहित्य की पत्रिका, ‘पूर्वग्रह’ में सम्पादन सहयोग और ‘साक्षात्कार’ का सम्पादन किया है। आप भोपाल में रहते हैं और ध्ार्मपाल शोध्ा संस्थान के निदेशक हैं।
जयशंकर - कथाकार। इनके प्रकाशित कथा-संग्रह ‘शोक गीत एवं अन्य कहानियाँ’, ‘लाल दीवारों का मकान’, ‘मरुस्थल’ और ‘चेम्बर म्यूजि़क’ हैं। जयशंकर को लिखे प्रसिद्ध हिन्दी लेखक निर्मल वर्मा के पत्रों का संग्रह, ‘देहरी पर पत्र’ प्रकाशित हुआ है। नयी किताब, ‘गोध्ाुली की इबारत’। श्रीकान्त वर्मा पुरस्कार समेत कई पुरस्कार मिले हैं। इन दिनों नागपुर में रहते हैं।
आस्तीक वाजपेयी - हिन्दी के युवतम कवियों में एक। भोपाल के मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान से ध्ाातु विज्ञान में बी.टेक. की डिग्री। पश्चिमी और भारतीय मार्गी संगीत में गहरी दिलचस्पी। कविताओं के लिए ‘जानकीपुल’ और ‘भारत भूषण अग्रवाल’ पुरस्कार (2014) और कविता संग्रह ‘थरथराहट’ के लिए ‘युवा साहित्य अकादमी’ पुरस्कार (2018) प्राप्त। इन दिनों सूरत में रहते और लिखते हैं।
मिथिलेशशरण चैबे - हिन्दी के युवा कवि और आलोचक। कुँवर नारायण पर आलोचना पुस्तक ‘कुँवर नारायण का रचना संसार’ प्रकाशित और कविता संग्रह ‘लौटने के लिए जाना’ प्रकाशित हैं। आपको ‘मीरा सम्मान’ और ‘रमेश दत्त दुबे युवा रचनाकार सम्मान’ मिले हैं। कई साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ और लेख प्रकाशित हुए हैं। ‘समास’ में सम्पादन सहयोग भी किया हैं।
ख़ालिद जावेद - उर्दू के सुविख्यात उपन्यासकार और कहानीकार बरेली में कई साल तक दर्शन शास्त्र पढ़ाते रहे। फिर उर्दू में एम.ए., पीएच.डी. और इन दिनों जामिया मिल्लिया इस्लामिया में उर्दू के प्रोफेसर हैं। ख़ालिद जावेद के दो कहानी संग्रह ‘बुरे मौसम में’ और ‘आखि़री दावत’ तथा दो उपन्यास ‘मौत की कि़ताब’ और ‘नेमत ख़ाना’ प्रकाशित हैं।
सुरेश सलिल - कवि, लेखक, आलोचक और अनुवादक। सुरेश सलिल हिन्दी, उर्दू और अंग्रेज़ी के विद्वान। छः कविता संग्रह प्रकाशित। अनेक काव्य अनुवाद भी प्रकाशित, जिनमें मुख्य हैं; बीसवीं सदी की विश्व कविता का वृहत् संचयन; रोशनी की खिड़कियाँ। आपके द्वारा सम्पादित कविता सदी; आध्ाुनिक हिन्दी कविता का प्रतिनिध्ाि संचयन और करवाने-ग़ज़ल; आठ सौ वर्षों की ग़ज़लों का सफ़रनामा विशेष रूप से सराहनीय।
अमित दत्ता - देश के सम्भवतः सबसे अध्ािक कल्पनाशील और गहन फि़ल्मकार। पुणे के भारतीय फि़ल्म एवं टेलीविजन संस्थान के स्नातक। कला, इतिहास और सिनेमा माध्यम की वैकल्पिक सम्भावनाओं को लेकर कई फि़ल्में बनायी हैं जिनमें क्रमशः, नैनसुख, चित्रशाला, गीतगोविन्द, रामखिन्द, पूर्ण@अपूर्ण, आदमी की औरत एवं अन्य कहानियाँ, सातवाँ रास्ता और अज्ञात शिल्पी प्रमुख हैं। फि़ल्मों को कई राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं जिनमें मुम्बई अन्तर्राष्ट्रीय में सर्वश्रेष्ठ फि़ल्म का गोल्डन कोंच पुरस्कार और चार राष्ट्रीय रजत कमल पुरस्कार शामिल। फि़ल्में अनेक महत्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय फि़ल्म समारोहों और कला संग्रहालयों में दिखायी जाती रही हैं। फि़ल्मों का पुनरावलोकी समारोह पेरिस, बर्कले, केलिफोर्निया, ओबरहाउजेन, लुगानो (स्विट्ज़रलैण्ड) आदि स्थानों के प्रतिष्ठित समारोहों में हुए हैं। उपन्यास ‘कालजयी कमबख़्त’ को कृष्ण बलदेव वैद पुरस्कार प्राप्त। इनकी अँग्रेज़ी में लिखी पुस्तक का हिन्दी अनुवाद ‘खुद से कई सवाल’ प्रकाशित ‘इनविजि़बल वेब’ इनकी नवीनतम पुस्तक है। पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) में रहते हैं।
नुपुर हजारिका - असमिया कवि, कथाकार, निबन्ध्ाकार। असमिया और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में लिखती हैं। आपकी तीन पुस्तकें हैं, जिनमें असमिया और अंग्रेज़ी भाषा में कविता संग्रह ‘जोड़ी’, असमिया में कहानी संग्रह ‘एता फि़निक्ज़ोर जन्मगाथा’ शामिल हैं। चाल्र्स डिकिन्स के उपन्यास ग्रेट इक्स्पेक्टेशन्स’ का अनुवाद असमिया में किया है।
महेन्द्र प्रसाद कुशवाहा - असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, हिन्दी विभाग, टी.डी.बी. काॅलेज, रानीगंज, प.बंगाल, इन दिनों बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में अध्यापक।
शान्तनु बनर्जी - असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, अंग्रेज़ी विभाग, काज़ी नजरुल यूनिवर्सिटी, आसनसोल, प.बंगाल।