लेखक परिचय
02-Aug-2023 12:00 AM 1934

मणि कौल - महान फ़िल्मकार और ध्रुपद संगीत के विलक्षण गुरु। भारतीय फ़िल्म और टेलीविज़न संस्थान, पुणे से स्नातक। ऋत्विक घटक के छात्र। भारत में बिलकुल नयी तरह की चिन्तनात्मक फ़िल्मों के प्रणेता। सिनेमा और अन्य कलाओं पर विलक्षण लेख प्रकाशित। ‘उसकी रोटी’, ‘आषाढ़ का एक दिन’, ‘दुविधा’, ‘घासीराम कोतवाल’, ‘चित्रवीथि’, ‘सतह से उठता आदमी’, ‘ध्रुपद’, ‘माटी मानस’, ‘ए डेज़र्ट ऑफ़ थाउजै़ण्ड लाईन्स’, ‘कश्मीर, बिफ़ोर माई आईज़’, ‘सिद्धेश्वरी’, ‘नज़र’, ‘इडियट’, ‘द क्लाउड डोर’, ‘नौकर की कमीज़’, ‘इक बेन जीन एंडर (आई एम नो अदर)’, ‘मंकीज़ रेनकोट’। भारतीय फ़िल्म और टेलीविज़न संस्थान, पुणे, ड्यूक विश्वविद्यालय, अमरीका समेत दुनिया के अनेक शीर्ष स्थानीय फ़िल्म संस्थानों में अध्यापन। 1974 में ‘दुविधा’ को सर्वश्रेष्ठ निर्देशन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार। 1979 में सिद्धेश्वरी को सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री का पुरस्कार। चार फ़िल्म फ़ेयर क्रिटिक्स सम्मान प्राप्त। देश-विदेश के अनेक शिष्यों को ध्रुपद संगीत की शिक्षा। 6 जुलाई 2011 को दिल्ली में निधन। फ़िल्मों के पुनरावलोकी समारोह दुनिया के अनेक महत्वपूर्ण फ़िल्म समारोहों में आयोजित होते रहते हैं।
आद्यरंगाचार्य ‘श्रीरंगा’ - प्रख्यात रंगकर्मी। 1904 में उत्तरी कर्नाटक के एक सम्भ्रान्त परिवार में जन्म। भाषा विज्ञान के अध्ययन के लिए पुणे और लन्दन विश्वविद्यालय गये। बहुत कम उम्र से ही संस्कृत का अध्ययन। लन्दन से भारत प्रोफ़ेसर होकर लौटे। आते ही स्वतन्त्रता संग्राम में शामिल। 1930 के दशक में शौकिया निर्देशक के रूप में कन्नड़ रंगमंच में प्रवेश। बारह उपन्यास साथ ही रंगकर्म, संस्कृत नाटक व भगवद्गीता पर अनेक पुस्तकें प्रकाशित। सैंतालीस नाटक और अठसठ एकांकियों का लेखन। ‘कालिदास अकादेमी’ उज्जैन के प्रथम निदेशक के रूप में कार्य। संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार, साहित्य अकादेमी पुरस्कार और 1972 में पùभूषण से सम्मानित।
वागीश शुक्ल - गहरे और तीक्ष्ण सिद्धान्तकार, आलोचक, उपन्यासकार। समास के नियमित लेखक। आपकी तीन पुस्तकें, ‘शहंशाह के कपड़े कहाँ हैं’ ‘चन्द्रकान्ता (सन्तति) का तिलिस्म’ और ‘छन्द-छन्द पर कुमकुम’ प्रकाशित हैं। पहली पुस्तक में साहित्य के अनेक मूलभूत प्रश्नों पर वैचारिक निबन्ध हैं। ‘छन्द-छन्द पर कुमकुम’ निराला की सुदीर्घ कविता ‘राम की शक्ति पूजा’ की अद्वितीय टीका है। आधुनिक समय में ऐसा कोई वैचारिक उद्यम किसी अन्य भारतीय लेखक ने इस स्तर का नहीं किया है। ग़ालिब के लगभग पूरे साहित्य की विस्तृत टीका लिख रखी है, जो आने वाले वर्षों में प्रकाशित होगी। वे पिछले कुछ वर्षों से एक सुदीर्घ उपन्यास लिखने में लगे हैं, जिसके कुछ अंश समास- छः और पन्द्रह में प्रकाशित हुए हैं। इन दिनों दिल्ली में रहते हैं।
अशोक दत्ता - हिन्दी और डोगरी के कथाकार। सोचें दी रीह्ल (डोगरी कहानी संग्रह 2014), सोच समुन्दर (डोगरी कहानी संग्रह 2019) एवं कोई ते है (डोगरी कहानी संग्रह 2020)। हाल में हिन्दी कहानी संग्रह ‘डुबकियाँ’ प्रकाशित। डोगरी संस्था, जम्मू द्वारा प्रो. रामनाथ शास्त्री स्मृति पुरस्कार 2019 से सम्मानित। जम्मू में रहते हैं।
महेश एलकुंचवार - भारत के सुविख्यात नाटककार एवं पटकथा लेखक। ‘एक नट की मृत्यु’ जैसे बीस से अधिक नाटकों के रचयिता। सैद्धान्तिक और आलोचनात्मक लेखन। न केवल मराठी रंगमंच में बल्कि भारतीय रंगमंच में महत्वपूर्ण उपस्थिति। संगीत नाटक अकादेमी फ़ैलोशिप समेत अनेक महत्वपूर्ण सम्मानों से सम्मानित।
हरप्रसाद दास - प्रसिद्ध ओड़िया कवि और निबन्धकार। लम्बे समय तक संयुक्त राष्ट्र संघ में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य। इस काम के सिलसिले में जिनेवा, लन्दन, नेरोबी, वॉरसा, हेक आदि शहरों में निवास। बारह से अधिक काव्य संग्रह, एक कहानी संग्रह और चार गद्य संग्रह प्रकाशित। कविताओं के हिन्दी समेत अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद। हिन्दी में ‘देश’, ‘अपार्थिव’, ‘प्रेम कविता’, ‘प्रार्थना के ज़रूरी शब्द’, ‘गर्भ गृह’ और ‘वंश’ प्रकाशित। साहित्य अकादेमी पुरस्कार, कलिंग लिटरेरी पुरस्कार, सरला पुरस्कार और मूर्तिदेवी पुरस्कार से सम्मानित। भुबनेश्वर में रहते हैं।
अमित दत्ता - देश के कल्पनाशील और गहन फ़िल्मकार। पुणे के भारतीय फ़िल्म एवं टेलीविजन संस्थान के स्नातक। कला, इतिहास और सिनेमा माध्यम की वैकल्पिक सम्भावनाओं को लेकर कई फ़िल्में बनायी हैं जिनमें क्रमशः, नैनसुख, चित्रशाला, गीतगोविन्द, रामखिन्द, पूर्ण/अपूर्ण, आदमी की औरत एवं अन्य कहानियाँ, सातवाँ रास्ता और अज्ञात शिल्पी प्रमुख हैं। फ़िल्मों को मुम्बई अन्तर्राष्ट्रीय में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का गोल्डन कोंच पुरस्कार और चार राष्ट्रीय रजत कमल पुरस्कार। फ़िल्मों के पुनरावलोकी समारोह पेरिस, बर्कले, केलिफोर्निया, ओबरहाउजेन, लुगानो (स्विट्ज़रलैण्ड) आदि स्थानों पर आयोजित। उपन्यास ‘कालजयी कमबख़्त’ को कृष्ण बलदेव वैद पुरस्कार प्राप्त। अंग्रेज़ी में लिखी पुस्तक का हिन्दी अनुवाद ‘खुद से कई सवाल’ प्रकाशित। भारतीय कला पर ‘इनविज़िबल वेब’ प्रकाशित, पिछले वर्ष ‘असल समृद्धि के आखि़री स्तम्भ’ प्रकाशित। पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) में रहते हैं।
ख़ालिद जावेद - भारत के उत्कृष्ट उपन्यासकारों में एक। बरेली में कई साल तक दर्शन शास्त्र पढ़ाते रहे। फिर उर्दू में एम.ए., पीएच.डी. और इन दिनों जामिया मिल्लिया इस्लामिया में उर्दू के एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं। ख़ालिद जावेद के दो कहानी संग्रह ‘बुरे मौसम में’ और ‘आख़िरी दावत’ तथा तीन उपन्यास ‘मौत की क़िताब’ ‘एक खंजर पानी में’ और ‘नेमतख़ाना’ हिन्दी में प्रकाशित हैं। ‘नेमतख़ाना’ को पिछले वर्ष 2022 में प्रतिष्ठित जे.सी.बी. पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। अभी हाल में उर्दू में नया उपन्यास ‘अरसलान और बेज़ाद’ प्रकाशित हुआ है।
मदन सोनी - हिन्दी के प्रख्यात आलोचक और अनुवादक। ‘कविता का व्योम और व्योम की कविता,’ ‘विषयान्तर’, निर्मल वर्मा पर ‘कथापुरुष’, ‘विक्षेप’ पुस्तकें। बर्टोल्ट ब्रेख़्त और कालिदास के नाटकों के बुन्देली में अनुवाद। हर्मन हेस के उपन्यास ‘सिद्धार्थ’ और उम्बर्टो इको के उपन्यास ‘द नेम ऑफ़ द रोज़’ के हिन्दी अनुवाद ‘ख़ाली नाम गुलाब का’ के साथ इज़राईली इतिहासकार युवाल नोआ हरारी की कई क़िताबों के अनुवाद प्रकाशित हुए हैं। अभी हाल में निबन्ध संचयन ‘काँपती सतह पर’ प्रकाशित। इन दिनों भोपाल में रहते हैं।
नीलिम कुमार - असमिया भाषा के प्रतिष्ठित कवि। अनेक कविता संग्रह प्रकाशित। हिन्दी समेत अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं में कविताओं के अनुवाद उपलब्ध हैं। पेशे से चिकित्सक हैं। गुवहाटी में रह रहे हैं।
मिथलेश शरण चौबे - हिन्दी के युवा कवि और आलोचक। कुँवर नारायण पर आलोचना पुस्तक ‘कुँवर नारायण का रचना संसार’ प्रकाशित और कविता संग्रह ‘लौटने के लिए जाना’ प्रकाशित हैं। आपको ‘मीरा सम्मान’ और ‘रमेश दत्त दुबे युवा रचनाकार सम्मान’ मिले हैं। कई साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ और लेख प्रकाशित हुए हैं। ‘समास’ में सम्पादन सहयोग भी किया है।
मनोज मोहन - एक ग़ैर सरकारी संगठन में थोड़े दिनों तक नौकरी। पिछले बीस साल से साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में सक्रिय लेखन। महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित। वर्तमान में सीएसडीएस, नई दिल्ली की पत्रिका ‘प्रतिमान’ के सहायक सम्पादक। भारत सरकार के संस्कृति मन्त्रालय की वर्ष 2019-20 के लिए सीनियर फ़ेलोशिप। दिल्ली में रहते हैं।
दुष्यन्त - दर्शन और इतिहास के विद्यार्थी रहे दुष्यन्त ने आधुनिक भारतीय इतिहास में डॉक्टरेट किया है। कविता, कहानी, अनुवाद आदि की कई किताबें प्रकाशित हैं। इन दिनों फ़िल्मों से जुड़े हैं। नवभारत टाईम्स और अमर उजाला के स्तम्भकार हैं। मुम्बई में रहते हैं।
ओम शर्मा- कवि, अनुवादक, नाट्य एवं कहानी लेखक। इतिहास, संस्कृति और भारतीय प्राच्य विद्याओं के अध्येता। कहानी ‘अनर्थ’, नाटक ‘दास्तान-ए-ढिंडक’, और ‘भारी करी रे गोबरधननाथ’ का लेखन। नाटक ‘अंधेर नगरी’ का मालवी में अनुवाद। चार अंकों वाली ‘मदन कवि’ रचित संस्कृत नाटिका ‘पारिजात मंजरी’ के शेष दो अप्राप्त अंकों का कल्पना के आधार पर लेखन। चित्र एवं शिल्पकला में विशेष रूचि। इन्दौर में रहते हैं।
अम्बिकादत्त - हिन्दी, राजस्थानी में लेखन। ‘लोग जहाँ खड़े हैं’ (हिन्दी कविता संग्रह), ‘सोरम का चितराम’ (राजस्थानी कविता संग्रह), परम देश की अधम कथा (हिन्दी व्यंग्य संग्रह), रमतेराम की डायरी (डायरी), सियाराम का गाँव (यात्रा वृत्तान्त) समेत चौदह पुस्तकें प्रकाशित। केन्द्रीय साहित्य अकादेमी का वार्षिक पुरस्कार वर्ष 2013 में पुस्तक ‘आंथ्योई नहीं दिन हाल’ राजस्थानी भाषा के लिए। राजस्थान साहित्य अकादेमी के मीरा पुरस्कार सहित अनेक सम्मान एवं पुरस्कार। कोटा में रहते हैं।
अभय कुमार दुबे - अम्बेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली में प्रोफ़ेसर। पश्चिमी ज्ञानमीमांसा और उसकी वाहक अँग्रेज़ी के वर्चस्व से मुक्त भारत की विमर्शी मौलिकता के संधान पर एकाग्र देशिक अभिलेख-अनुसंधान केन्द्र के निदेशक। इससे पहले बीस वर्ष तक समाज-विज्ञान अनुसंधान संस्थान विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सेंटर फ़ार द स्टडी ऑफ़ डिवेलपिंग सोसाइटीज़), दिल्ली में प्रोफ़ेसर एवं अध्ययन पीठ के भारतीय भाषा कार्यक्रम के निदेशक तथा समाज-विज्ञान और मानविकी की पूर्व-समीक्षित ‘प्रतिमान’ समय समाज संस्कृति की पत्रिका के प्रधान सम्पादक। इस समय भारत में अँग्रेज़ी भाषा के वर्चस्व का तीन खण्डों में इतिहास लेखन जारी। प्रमुख रचनाएँ- हिन्दू-एकता बनाम ज्ञान की राजनीति, हिन्दी में हम : आधुनिकता के कारखाने में भाषा और विचार, सेकुलर/साम्प्रदायिक : एक भारतीय उलझन के कुछ आयाम, फ़ुटपाथ पर कामसूत्र : नारीवाद और सेक्सुअलिटी की कुछ भारतीय निर्मितियाँ, साहित्य में अनामन्त्रित, क्रान्ति का आत्मसंघर्ष : नक्सलवादी आन्दोलन के बदलते चेहरे का अध्ययन, कांशी राम, बाल ठाकरे और मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक जीवन का अध्ययन करके राजनीति की नयी उद्यमी शृँखला के तहत तीन पुस्तकें। छह खण्डीय समाज-विज्ञान विश्वकोश का सम्पादन। इसके अलावा समाज-वैज्ञानिक साहित्य के तीस सम्पादित और अनूदित ग्रंथ प्रकाशित।
राधू मिश्र - राउरकेला इस्पात संयन्त्र के सेवानिवृत्त राजभाषा अधिकारी। ओड़िआ के समर्थ व्यंग्यकार, स्तम्भकार और बरसों तक ओड़िआ व्यंग्य मासिक के सम्पादक रहे। ओड़िआ में नौ तथा हिन्दी में छह पुस्तकें प्रकाशित। ओड़िशा साहित्य अकादेमी सम्मान तथा उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का ‘सौहार्द सम्मान’।
ख़ुर्शीद अकरम - उर्दू में लिखते हैं। दो कहानी संग्रह, कविता और आलोचना के एक-एक संग्रह और अनुवाद सहित लगभग दस किताबें प्रकाशित। कविता और आलोचना की तीन किताबें शीघ्र प्रकाश्य। कई कहानियाँ उर्दू, अँग्रेज़ी और विभिन्न भाषाओं के संकलनों में शामिल। साहित्य की पत्रिका आजकल (उर्दू) के सम्पादक रहे। दिल्ली में निवास।
इक़बाल हुसैन - दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग में कार्यरत। साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में शोध कार्यों से जुड़े हैं। साहित्यिक और अकादेमिक महत्त्व के लेखों का अनुवाद।
अल्पना मिश्र - हिन्दी उपन्यासकार, कथाकार एवं आलोचक। दो उपन्यास ‘अन्हियारे तलछट में चमका’ और ‘अस्थि फूल’ तथा ‘भीतर का वक़्त’, ‘कब्र भी कैद औ जंजीरें भी’, दस प्रतिनिधि कहानियों सहित कई कहानी संग्रह, ‘सहस्रों विखण्डित आईने में आदमकद’ समेत चार आलोचना पुस्तकें प्रकाशित। ‘शैलेश मटियानी स्मृति कथा सम्मान’, प्रेमचन्द स्मृति कथा समेत सम्मान। इन दिनों हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय में आचार्या।
गोरख थोराट - पुणे में रहने वाले गोरख थोराट ने मराठी की कई महत्वपूर्ण किताबों का हिन्दी में अनुवाद किया है, जिनमें प्रमुख हैं, भालचन्द्र नेमाड़े का उपन्यास ‘हिन्दू’ और सुधाकर यादव की भारतीय चित्रकला पर पुस्तक ‘चित्रमय भारत’।
विनोद रिंगानिया - असमिया के कहानीकार, अनुवादक और पत्रकार। साहित्य अकादेमी पुरस्कृत कवि हरेकृष्ण डेका के कविता संकलन का असमिया से हिन्दी अनुवाद और अन्य प्रमुख असमिया कवियों का भी हिन्दी में अनुवाद। यात्रा वृतान्त ‘ट्रेन टू बांग्लादेश’ और राजनीतिक लेखन ‘असम कहाँ कहाँ से गुज़र गया’ प्रकाशित। कहानियाँ समकालीन भारतीय साहित्य, कथादेश सहित अन्य पत्रिकाओं में प्रकाशित। पूर्वांचल प्रहरी, सप्तसेतु, पूरब, दैनिक पूर्वादय आदि समाचार पत्रों का सम्पादन। सम्प्रति बर्लिन स्थित ‘इंस्टीट्यूट ऑफ़ साउथ एशिया मार्केटिंग एंड पॉलिटिकल एनालिसिस’ के भारत प्रमुख।
मंजू वेंकट - साहित्य अनुरागी मंजू वेंकट पिछले २२ वर्षों से बंगलूरू में निवास। विशेष रुचि हिन्दी और उर्दू अदब के अलावा गाँधी साहित्य और दर्शन में है। कुछ कविताएँ, कहानियाँ और आलेख साहित्यिक पत्रों में प्रकाशित। कन्नड़ के मूर्धन्य नाटककार आद्यरंगाचार्या (श्रीरंगा) के तीन नाटकों का अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद।

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