Shamsur Rahman Faruqi
09-Apr-2017 12:00 AM 6769

शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी, हमारे समय के महान लेखक। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अँग्रेज़ी में एम.ए.। तक़रीबन तीन साल तक अँगे्रज़ी भाषा का अध्यापन, उसके बाद 1958 में भारतीय पोस्टल सेवा में कार्यरत। विभिन्न विधाओं में लेखन। 1966 से ‘शबख़ून’ पत्रिका का सम्पादन और लगभग उसी वक़्त उर्दू में आलोचना लेखन आरम्भ। आधुनिकता को उर्दू में क़ायम करने और उसकी दार्शनिक व आलोचनात्मक व्याख्या करने में शम्सुर्रहान फ़ारूक़ी का नाम सबसे अग्रणी है। फ़ारूक़ी साहब का काव्यशास्त्र, आधुनिकता और क्लासिक, पश्चिमी और पूर्वी विचारों के बेहतरीन समन्वय से बना है। फ़ारूक़ी साहब से पहले उर्दू आलोचना में इतनी तार्किकता, व्याख्यात्मकता और विस्तार नहीं था, ‘लफ़्ज़ ओ मानी’, ‘शेर गै़र शेर और नस्र’, ‘इस्बात ओ नफ़ी,’ ‘तनक़ीदी अफ़कार’ आधुनिक आलोचना की बेहतरीन किताबें हैं। वहीं आपकी ‘तफ़हीमे-ग़ालिब’ और ‘शेर ए शोर अंगेज़’ उर्दू की क्लासिकी शाइरी पर बेहतरीन किताबें हैं। 1997 में उन्होंने पहली कहानी ‘ग़ालिब अफ़साना’ एक छद्म नाम से लिखी बाद में आपका कहानी संग्रह ‘सवार और दूसरी कहानियाँ’ नाम से छपा। फिर एक तारीख़ी कारनामा ‘कई चाँद थे सरे आसमाँ’ उपन्यास छपा, जिसका जल्द ही अँग्रेज़ी और हिन्दी में भी अनुवाद हुआ। इसके बाद एक और उपन्यास ‘क़ब्ज़े ज़माँ’ छपा। आप इलाहाबाद में रहते हैं।

© 2025 - All Rights Reserved - The Raza Foundation | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^