मार्च उन्नीस सौ अठहत्तर को खगड़िया, बिहार में जन्म।
कविता और कहानी लेखन में समान रूप से सक्रिय।
प्रकाशन:
कहते हैं तब शहंशाह सो रहे थे, वे तुमसे पूछेंगे डर का रंग, चूंकि सवाल कभी ख़त्म नहीं होते। (कविता संग्रह) अयोध्या बाबू सनक गए हैं, कट टु दिल्ली और अन्य कहानियां (कहानी संग्रह) और आलोचना की दो-तीन किताबें प्रकाशित। पहला उपन्यास प्रकाशित।
सम्मानः
साहित्य अकादेमी युवा सम्मान, भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन सम्मान, रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार, अंकुर मिश्र स्मृति सम्मान।
कहानियों, कविताओं का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद। कविता संग्रह कहते हैं तब शहंशांह सो रहे थे, का मराठी में अनुवाद साहित्य अकादेमी से प्रकाशित।
कविताएं केरल विश्वविद्यालय और शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, कलाडी के पाठ्यक्रम में शामिल। कहानियां विभिन्न महत्वपूर्ण श्रृंखलाओं-पीपुल्स पब्लिशिंग हाउस की श्रेष्ठ हिन्दी कहानियां (2000-2010), हार्पर कॉलिन्स की हिन्दी की क्लासिक कहानियां और सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित ‘हिन्दी कहानी का युवा परिदृश्य’ में शामिल। कहानी ‘अयोध्या बाबू सनक गए, हैं पर प्रसिद्ध रंगकर्मी देवेन्द्र राज अंकुर द्वारा एनएसडी सहित देश की विभिन्न जगहों पर पच्चीस से अधिक नाट्य प्रस्तुतियां।