पहला सत्र, 11ः00 बजे से 12ः00 बजे
लेखकीय दृष्टि और औपन्यासिक दृष्टि का द्वन्द्वअनुपम सिंह अणुशक्ति सिंह कुमार मंगलम जगन्नाथ दुबे
दूसरा सत्र, 12ः00 बजे से 1ः00 बजे
भाषा का वितान
रश्मि भारद्वाज अमिता मिश्र विहाग वैभव
तीसरा सत्र, 2ः00 बजे से 3ः30 बजे
कृष्णा सोबती और हिन्दी आलोचना
अल्पना सिंह ज्योति रीता अदिति भारद्वाज आकांक्षा संदीप तिवारी
चौथा सत्र, 4ः00 बजे से 5ः00 बजे
जिजीविषा के रूपकः स्वाधीन स्त्री की उपस्थिति
तसनीम खान शुभम मोंगा जावेद आलम ख़ान
पाचवाँ सत्र, 5ः30 बजे से 7ः00 बजे
कृष्णा-वैद-निर्मलः गल्प और यथार्थ
यवनिका तिवारी अभिषेक मिश्र आंनद पाण्डेय शिवेन्द्र कुमार
छठवाँ सत्र, 10ः30 बजे से 11ः45 बजे
वर्तमान लोकतांत्रिक संकट में सोबती-आवाज़
कविता कर्मकार बालकीर्ति कुमारी संतोष अर्श
सातवाँ सत्र, 11ः45 बजे से 1ः00 बजे
स्वतंत्रता, विभाजन, साहित्य
फ़हीम अहमद संजय जायसवाल विशाल श्रीवास्तव विपिन तिवारी
आठवाँ सत्र, 2ः00 बजे से 3ः00 बजे
भारत का सोबती-आख्यान
अनुरंजिनी अनुराधा ओस दिनेश कुमार केतन यादव
नवाँ सत्र, 3ः00 बजे से 4ः15 बजे
कृष्णा सोबती इस्मत चुगताई महाश्वेता देवी
प्रियंका सिंह रौशनी चाहत अन्वी पंकज बोस
समापन सत्र, 4ः30 बजे